क्या दसवें दौर की बैठक में सामने आयेगी किसान आंदोलन की असलियत - Infogujarati1
शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत हुई जिसमें केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि यह सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, लेकिन किसी निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच सकी। अब ये चर्चा फिर से टाल दी गई है अब इस पर बातचीत 19 फरवरी को होगी। लेकिन किसान संगठन बहुत नाराज़ है उनका कहना है कि सरकार बिना होमवर्क केवल बातचीत का कोरम पूरा करने आई थी।
किसानों से बातचीत को लेकर 14 जनवरी को कृषि मंत्रालय और सरकारी अधिकारियों में भी असमंजस की स्थिति बरकरार थी। ऐसे में 15 जनवरी की बैठक का कोई नतीजा निकलने का आसार ना के बराबर ही था। अब सबकी नजरें मंगलवार को होने वाले दसवें दौर की बातचीत पर टिकी हैं।
पत्रकारों से बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया। एक तरफ तो किसान संगठन जहां उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के सामने जाने से इनकार कर रहे हैं, वहीं कृषि मंत्री ने कहा कि समिति बुलाएगी तो सरकार पक्ष रखने ज़रूर जाएगी। तोमर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय देश की सर्वोच्च संस्था है। उसका सम्मान करना हमारी प्रतिबद्धता है और जब उच्चतम न्यायालय द्वारा किसानों के मुद्दे पर गठित समिति बुलाएगी तो केन्द्र सरकार उसके सामने पेश होगी।
क्या ऐसे ही होते रहेगी बातचीत और बैठकें
कृषि मंत्री के इस तरह के बयान के बाद किसान नेता लोग उनकी इस बातचीत के दो अर्थ निकाल रहे हैं। किसान नेता पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि केन्द्र सरकार का इरादा इसके बहाने बातचीत करते रहने और टालते रहने का है।
समिति के पास नहीं जाएंगे-किसान नेता
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान सरकार से ही बात करेंगे। उनकी बस दो मांग है। सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी दे और तीनों कानूनों को रद्द करे। टिकैत ने साफ कहा कि वह उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति के पास बुलाने पर नहीं जाएंगे। टिकैत का कहना है कि सरकार एमएसपी पर खरीद की गारंटी से भाग रही है जबकि एमएसपी ही हमारी प्राथमिकता में है। बैठक से बाहर निकले एक अन्य नेता ने कहा कि सरकार पूरी तैयारी करके नहीं आई थी। वह केवल बातचीत जारी रखने का संदेश देने और कोरम पूरा करने आई थी। किसान नेता हन्नान मुल्ला ने कहा कि बातचीत के बाद कुछ नहीं हुआ। मुल्ला ने कहा कि सरकार को एमएसपी पर गारंटी और तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए।
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